अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बार फिर यह दावा दोहराया है कि भारत ने अमेरिका के अनुरोध पर रूस से तेल आयात में उल्लेखनीय कटौती की है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह दावा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के व्यक्तिगत आग्रह पर भारत सहित कई देशों ने अपनी रूसी तेल खरीद को कम किया है। लेविट ने इस कदम को यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में रूस पर दबाव बनाने की अमेरिकी नीति का परिणाम बताया, हालांकि उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चीन भी रूस से तेल की खरीद घटा रहा है।
भारत का स्पष्ट खंडन
हालांकि, नई दिल्ली ने व्हाइट हाउस के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। भारतीय अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच रूसी तेल व्यापार को लेकर किसी भी तरह की बातचीत से इनकार किया है। भारत सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि उसकी विदेश और ऊर्जा नीति देश के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा पर केंद्रित है। भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा, तेल की स्थिर कीमतों और आपूर्ति की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, और ये निर्णय किसी बाहरी दबाव का परिणाम नहीं हैं।
भारतीय पक्ष ने यह भी संकेत दिया है कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा प्रतिबंधों के माध्यम से आर्थिक दबाव डालने की नीति सफल नहीं हो रही है। नई दिल्ली का यह रुख ऐसे समय में आया है जब वह लगातार स्पष्ट करता रहा है कि देश की ऊर्जा आवश्यकताएं ही उसके खरीद निर्णयों को निर्धारित करती हैं। भारत ने अपनी राष्ट्रीय ऊर्जा नीति को सर्वोपरि बताते हुए अमेरिकी दावों को दरकिनार कर दिया है।
शांति वार्ता की विफलता पर अमेरिका निराश
प्रेस सचिव लेविट ने अपनी वार्ता में यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के लिए शांति वार्ता की प्रगति न होने पर अमेरिका की निराशा भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा शांति वार्ता में रुचि न दिखाने से राष्ट्रपति ट्रंप निराश हैं। लेविट ने इस निराशा का हवाला देते हुए रूस की तेल कंपनियों पर अमेरिका द्वारा हाल ही में लगाए गए नए प्रतिबंधों को 'उचित और आवश्यक' ठहराया।
लेविट ने दोहराया कि राष्ट्रपति ट्रंप का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है कि जब भी उन्हें आवश्यक और न्यायसंगत लगेगा, वे रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने से नहीं हिचकिचाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुतिन के मौजूदा रुख को देखते हुए, यूक्रेन में शांति स्थापना की दिशा में आगे बढ़ने के लिए ट्रंप और पुतिन के बीच किसी संभावित शिखर बैठक की संभावना "असंभव" प्रतीत होती है।
कुल मिलाकर, वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच रूसी तेल खरीद के मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से असहमति उभरकर सामने आई है, जहां अमेरिका अपने राजनयिक प्रयासों की सफलता का दावा कर रहा है, वहीं भारत अपनी स्वतंत्र ऊर्जा नीति और राष्ट्रीय हितों की रक्षा पर अडिग है। यह घटनाक्रम वैश्विक कूटनीति और ऊर्जा बाजारों में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है।